छात्रों मे बढ़ती अनुशासनहीनता से अभिभावक व स्कूल प्रबंधन चिंतित।
सासाराम – आज कल बच्चों मे अनुशासनहीनता दिखाई देना आम बात हो गई है। घर हो या विद्यालय बच्चे कोई न कोई ऐसी हरकत कर दे रहे हैं जो अनुशासनहीनता की श्रेणी मे आता है। इन सभी को देखते हुए माँ बाप व स्कूल काफी चिंतित हैं।इस विषय पर शिक्षाविद सह वरीय शारीरिक शिक्षा शिक्षक व पूर्व एन सी सी अधिकारी रवि भूषण पाण्डेय ने कहा की छात्रों के लिए अनुशासन अपनी पढ़ाई के साथ-साथ जीवन के अन्य क्षेत्रों के प्रति एकाग्र और प्रेरित रहना सिखाता है । मजबूत लक्ष्यों वाला व्यक्ति अधिक केंद्रित होता है और दैनिक जीवन में अपना काम हमेशा समय पर करता है। यह विद्यार्थी को शांत और संयमित रहने में मदद करता है।
अनुशासनहीनता क्या है?
ऐसी स्थिति जिसमें लोग अपने व्यवहार पर नियंत्रण नहीं रखते या नियमों का पालन नहीं करते । विद्यालय परिसर मे अनुशासन बनाना एवं अनुशासनहीनता की समस्या को हल करना स्कूल का प्राथमिक उद्देश्य होना चाहिए ।
अनुशासनहीनता से कौन कौन सी हानियां हो सकती है?
छात्रों में अनुशासनहीनता उन्हें क्रूर और डरपोक बना देती है साथ हीं उन्हे कमजोर,कामचोर और आलसी बना देती है, इसलिए अनुशासन बेहद जरूरी है। छात्र जीवन में अनुशासन बहुत आवश्यक है। अनुशासनयुक्त वातावरण बच्चों के विकास के लिए नितांत आवश्यक है।
छात्रों में अनुशासनहीनता के निराकरण का श्रेठ उपाय है
(i)छात्रों से सीधे सम्पर्क स्थापित कर (ii) अनुशासनहीनता के कारणों को मालूम करना व छात्रों की समस्याओं से अवगत होना।
(iii) छात्रों में भयमुक्त वातावरण बनाना।
(iv) छात्रों को कठोरता से दण्डित करना
बच्चों को अनुशासित बनाने मे माता पिता का दायित्व।
बच्चों को इन तरीकों से सिखाएं अनुशासन
- खुद को रोल मॉडल बनाएं
अपने बच्चों को सिखाने का सबसे सही तरीका है कि आप खुद उनके लिए रोल मॉडल बनें क्योंकि बच्चे सबसे पहले अपने माता-पिता को देखकर सीखते हैं। उनके लिए पहली पाठशाला उनका परिवार ही होता है। इसलिए अपना व्यवहार वैसा न रखें जो, आप अपने बच्चों में नहीं देखना चाहते हैं। - खेल-खेल में सिखाएं अच्छी आदतें
बच्चों को अगर आप अपनी बातों के माध्यम से कुछ समझाने की कोशिश करते हैं तो, शायद ये बातें उन्हें समझ न आएं लेकिन अगर आप उन्हें खेल-खेल में ये चीजें समझाते हैं तो, ये बात उनके जीवन का हिस्सा बन जाती है। जैसे उन्हें अपनी गंदी प्लेट खुद साफ करने की आदत सिखाएं। उन्हें घरों के कामों में हाथ बंटाने को कहें। अपने बच्चों को खुद का कार्य करने के लिए प्रेरित करें। किसी तरह का कोई भेदभाव न करें। बेटे-बेटी दोनों को काम करना सिखाएं। - बच्चों के लिए घर व स्कूल में कुछ नियम बनाएं
हर घर के कुछ अलग नियम और कानून होते हैं। इसकी मदद से बच्चों में एक जागरूकता आती है कि खेलकर समय से घर जाना, पढ़ाई का समय निर्धारित करना। घर में सबके साथ खाना बैठकर खाना । ये आदतें उन्हें समय का पाबंद और परिवार के नजदीक लाने में मदद करते हैं। साथ ही उन्हें अनुशासन भी सिखाता है। - बच्चों व छात्रों की बातों को ध्यान से सुनें
एक माता-पिता व शिक्षक के रूप में हमें सब अपने बच्चे को परफेक्ट देखना होता है। हम उन्हें बहुत कुछ सिखाना चाहते हैं लेकिन हम उन्हें समझाने की कोशिश कम करते हैं। उन्हें सुनने की क्षमता नहीं रखते हैं। ये बहुत आम बात हैं लेकिन बहुत जरूरी है कि आप उनके हिस्से का उन्हें बोलने दें कि आपका बच्चा आपकी सीख या नियमों के बारे में क्या सोचता है। उनके मन के विचार को व्यक्त करने का अवसर दें।
5.बच्चों की अच्छे कार्यों की सराहना करें और उन्हे शाबाशी दें।
बच्चों को अच्छे कार्य करने के लिए उत्साहित व प्रेरित करते रहें। इससे उनके हौंसला बढ़ता है और उनको कुछ नया करने का साहस भी मिलता है ताकि वे आगे बढ़ते रहें। कुछ नया करने पर भी एक माता-पिता बनकर नहीं उनके दोस्त बनकर उन्हें समझने की कोशिश करें और उनकी सरहाना करें।