बक्सर। इस बार का लोकसभा चुनाव मोदी को तीसरी बार लाना और मोदी को हर हाल में हटाना इन्हीं दो ही बिंदुओं पर केंद्रित रहा। इस कारण ज्यादातर लोकसभा सीटों पर एनडीए और आईएनडीआईए इन्हीं दोनों गठबंधनों के प्रत्याशी के बीच ही 80 से 95 प्रतिशत तक मत बंट गए। पूर्णिया, सिवान व कारकाट में ही निर्दलीय उम्मीदवार मजबूत प्रदर्शन कर दिखाया। पूर्णिया में पप्पू यादव जीते तो सिवान में हेना शहाब व काराकाट में पवन सिंह दूसरे स्थान पर रहे। इस कारण पूर्णिया व काराकाट राजग के हाथ से फिसल गई तो सिवान में राजग दोबारा काबिज होने में सफल रहा।
अन्य 37 सीटों पर सभी दलीय व निर्दलीय प्रत्याशी बेहद कम मतों के साथ सिमट गए। इनमें से कई सीटों पर आमने-सामने की लड़ाई में दोनों गठबंधनों से अलग बहुजन समाज पार्टी के प्रदर्शन ने सबका ध्यान खींचा। बसपा ने बिहार की एक सीट बक्सर में उत्तर प्रदेश में अपने औसत प्रदर्शन से अधिक मत प्राप्त किए। यूपी में बसपा को कुल 9.39 प्रतिशत मत मिले, जबकि अकेले बक्सर में 10.68 प्रतिशत मत हासिल किए। वैसे पूरे बिहार में बसपा मात्र 1.75 प्रतिशत मत ही जुटा सकी। असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम को बिहार में केवल 0.88 प्रतिशत मत हासिल हुए। वह बिहार में तीन सीटों पर चुनाव लड़ी थी। उम्मीदवारी के दृष्टिकोण से बसपा सबसे अधिक मजबूत जहानाबाद और बक्सर सीट दिख रही थी। जहानाबाद में पूर्व सांसद अरुण कुमार तो बक्सर में रियल इस्टेट के निवेशक अनिल कुमार चौधरी उसके उम्मीदवार थे। जहानाबाद में बसपा को 9.33 प्रतिशत मत मिले।
इसके पीछे बसपा के कैडर मतों से अधिक प्रत्याशी के स्वजातीय भूमिहार मतदाताओं का समर्थन माना जा रहा है। बक्सर में बसपा को इससे करीब एक प्रतिशत मत अधिक मिले। पार्टी अध्यक्ष मायावती की बिहार में इकलौती चुनावी सभा बक्सर में ही हुई थी. इस सीट पर बसपा के लगभग डेढ़ से दो लाख कैडर वोटर माने जाते हैं। बिहार के उत्तर प्रदेश से सटे जिलों खासकर बक्सर, रोहतास और कैमूर में अनुसूचित जातियों पर बसपा की पकड़ अच्छी रही है। इन दोनों सीटों पर बसपा के प्रदर्शन ने संकेत दे दिया कि अगर पार्टी जातीय समीकरण के लिहाज से मजबूत प्रत्याशी का चयन करे, प्रचार अभियान को विस्तार दे तो उसके कैडर वोटरों के समर्थन से बाजी पलटी भी जा सकती है।बसपा बिहार की 37 सीटों पर चुनाव लड़ी। बिहार की औरंगाबाद, भागलपुर, बक्सर, गया, जहानाबाद, कटिहार, सासाराम सीटों पर तीसरे स्थान पर रही। वहीं, अररिया, दरभंगा, गोपालगंज, हाजीपुर, जमुई, झंझारपुर, काराकाट, मधेपुरा, मधुबनी, महाराजगंज, पश्चिमी चंपारण, पाटलिपुत्र, पटना साहिब, पूर्णिया, उजियारपुर और वैशाली में चौथे, आरा, बेगूसराय, नवादा, समस्तीपुर, सारण, सीतामढ़ी व वाल्मिकीनगर में पांचवें, खगड़िया, मुंगेर, नालंदा व सुपौल में छठे, मुजफ्फरपुर व शिवहर में सातवें और किशनगंज में आठवें स्थान पर रही। बिहार में एआइएमआइएम का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किशनगंज सीट पर रहा, जहां अख्तारुल इमान ने 26.87 प्रतिशत मत हासिल किए। बीते विधानसभा चुनाव में सीमांचल में उल्लेखनीय प्रदर्शन करने वाली इस पार्टी को उस क्षेत्र की कई सीटों पर उम्मीदवार ही नहीं मिले। दूसरी तरफ पार्टी ने गैर मुस्लिम बहुल इलाकों में पहली बार उम्मीदवार उतारे और कई सीटों पर दूसरे उम्मीदवारों को समर्थन दिया। उदाहरण के लिए पार्टी ने बक्सर सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार ददन पहलवान को समर्थन दिया, लेकिन इससे उन्हें मतों का कोई फायदा नहीं हो सका।