ग्रामीण क्षेत्रों के पुरुष नसबंदी करा कर दे रहे हैं सकारात्मक संदेश
सासाराम। जनसंख्या स्थिरीकरण को लेकर सरकार द्वारा लगातार अभियान चलाया जा रहा है। मिशन परिवार विकास अभियान के तहत 27 जून से जनसंख्या स्थिरता पखवाड़ा की शुरुआत कर दी गई है। पखवाड़ा की शुरुआत परिवार दंपति संपर्क और जागरूकता रथ के साथ किया गया है। पखवाड़ा के दौरान पुरुष नसबंदी को लेकर लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए विशेष बल दिया जा रहा है। डीपीसी संजीवी मधुकर ने बताया कि इस परिवार नियोजन पखवाड़ा में महिला बंध्याकरण के साथ पुरुष संबंधी पर ज्यादा जोर दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि महिला बंध्याकरण की अपेक्षा पुरूष नसबंदी काफी सरल और आसान होता है। इस प्रक्रिया में आधे घंटे का समय लगता है और पुरुष नसबंदी के बाद लाभार्थी को अस्पताल से छुट्टी दे दी जाती है। उन्होंने बताया कि 4 से 5 दिनों के आराम के बाद पुरुष सामान्य जिंदगी जी सकते हैं। पुरुष नसबंदी में किसी प्रकार का चीड़ फाड़ नहीं होता है, इसलिए पुरुष नसबंदी प्रक्रिया काफी सरल है। संजीव मधुकर ने बताया की पुरुष नसबंदी कराने वाले व्यक्ति को सरकार तीन हजार का प्रोत्साहन राशि भी प्रदान करती है।
परिवार नियोजन में बढ़ी है पुरुषो की सहभागिता
स्थाई परिवार नियोजन को लेकर पुरुषों में भ्रम देखा जाता है। इस वजह से पुरुष नसबंदी के लिए आगे नहीं आते हैं और महिलाओं को ही बंध्याकरण के लिए आगे कर देते हैं। परंतु अब पुरुषों की भी धीरे-धीरे सोच बदलती जा रही है। पुरुष भी स्थाई परिवार नियोजन के लिए आगे आ रहे हैं और अपना नसबंदी करवा रहे हैं। वर्ष 2022-23 के आंकड़ों के अनुसार रोहतास जिले में 7129 महिलाओं ने बंध्याकरण करवाया तो वही 249 पुरुषों ने नसबंदी करा कर परिवार नियोजन का स्थाई साधन अपनाया। वहीं वर्ष 2023- 24 की आंकड़ों पर नजर डालें तो 6533 महिलाओं ने बंध्याकरण करवाया जबकि 335 पुरुषों ने नसबंदी करवाया। इस तरह से वर्ष 2023- 24 में महिला बंध्याकरण का आंकड़ा घटा है जबकि पुरुष नसबंदी के आंकड़ों में बढ़ोतरी हुई है। हालांकि पुरुष नसबंदी में कुछ ज्यादा बढ़ोतरी नहीं हुई है, फिर भी माना जा रहा है कि स्थाई परिवार नियोजन को लेकर पुरुषों में अब जागरूकता आ रही है और पुरुष अपना नसबंदी के लिए आगे आ रहे हैं।
पुरुष नसबंदी में ग्रामीण क्षेत्र आगे
कहा जाता है की शहरी क्षेत्र में शिक्षा का दर ज्यादा होता है इसलिए लोग काफी शिक्षित होते हैं, और जागरूकता जल्दी आती है, लेकिन पुरुष नसबंदी की बात करें तो शहरी क्षेत्र में इसको लेकर अभी भी लोगों में भ्रांतियां देखी जा रही है और इसके लिए ग्रामीण क्षेत्र के लोग बढ़ चढ़ कर आगे आ रहे हैं। पिछले साल की आंकड़ों की बात करें तो नोखा प्रखंड में पिछले 1 साल में 33 पुरुषों ने अपना नसबंदी करवाया, जबकि बिक्रमगंज में 25, अकोढीगोला में 20, चेनारी में 20, कोचस में 19, रोहतास में 19, सासाराम में 48, नासरीगंज में 15, तिलौथू में 15, नौहट्टा में 13, शिवसागर में 26, सूर्यपुरा में 11, काराकाट में 21, दिनारा में 18, दावथ में 8, डेहरी में 13, राजपुर में 4 तथा करगहर में 7 पुरुषों ने नसबंदी करा कर अन्य पुरुषों को सकारात्मक संदेश दे रहें है।