हाथीपांव से बचने के लिए दवा का सेवन जरूरी
सभी दवा पूरी तरह से सुरक्षित और असरदार
सासाराम। फाइलेरिया को लेकर आज भी लोगों में अलग धारणा बनी हुई है। कहीं-कहीं लोग आज भी इसे अनुवांशिक रोगी मानते हैं, जबकि फाइलेरिया एक बीमारी है। फाइलेरिया क्यूलेक्स नामक मच्छर के काटने से फैलता है और यह मच्छर घर में यदि एक से अधिक लोगों काटता है तो फलेरिया होने की संभावना अधिक हो जाती है, हालांकि इसका लक्षण 10 से 12 वर्षों के बाद दिखाई देता है इसलिए लोग इसे अनुवांशिक रोग मान लेते हैं जबकि यह एक संक्रामक बीमारी है और इससे सावधानी ही बचाव है। रोहतास जिला फलेरिया नियंत्रण इकाई के वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी जयप्रकाश गौतम ने बताया कि फाइलेरिया को लेकर अभी भी लोगों में जागरूकता का अभाव देखा जा रहा है और कहीं-कहीं लोग आज भी इसे जेनेटिक (अनुवांशिक) रोग ही मान रहे हैं, जबकि ऐसा नहीं है। उन्होंने बताया कि फाइलेरिया बीमारी को लेकर लगातार अभियान चलाया जा रहा है और लोगों को जागरूक करके बताया जा रहा है कि यह एक जेनेटिक बीमारी नहीं है बल्कि यह एक संक्रामक बीमारी है जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में मच्छरों के काटने से फैलता है। यह मुख्यतः क्यूलेक्स प्रजाति के मच्छरों से काटने से फैलता है।
फाइलेरिया की दवा पूरी तरह सुरक्षित
डीएमओ सह फाइलेरिया नोडल अधिकारी डॉ राकेश कुमार ने बताया कि फाइलेरिया उन्मूलन को लेकर दी जाने वाली एल्बेंडाजोल, डीईसी, आइवरमेक्टिन दवा पूरी तरह से सुरक्षित है। दवा को लेकर किसी प्रकार का नकारात्मक सोच मन में नहीं बैठाएं और ना ही दूसरों को नकारात्मक सोच जैसी प्रवृत्ति उत्पन्न होने दें। उन्होंने बताया कि अभियान के तहत दी जाने वाली दवा पूरी तरह से सुरक्षित और लाभकारी है।
घर घर जा कर खिलाई जाएगी दवा
डॉ राकेश कुमार ने बताया कि एमडीए अभियान 10 अगस्त से शुरू होगी। इस दौरान स्वास्थ्य कर्मी सभी लोगों के घरों तक जाकर दवा का सेवन करवाएंगी। उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य कर्मी अपने सामने दवा का सेवन करवाएंगी और इसके फायदे बताएंगी।