औरंगाबाद: औरंगाबाद जिले में कुछ ही उद्यमी ड्रोन से फसलों में कीटनाशक और तरल उर्वरक के छिड़काव के लिए आगे आए है, लेकिन भविष्य में सरकार की योजना जीविका दीदियों को भी ड्रोन उद्यमी बनाने की है। राज्य के कुछ जिलों में जीविका दीदी ड्रोन उद्यमी योजना लागू हुई है औरंगाबाद में भी यह योजना शीघ्र ही लागू होनेवाली है। दरअसल इन तस्वीरों के संकेत साफ है कि किसान अब ड्रोन के माध्यम से भी अपने खेतों में कीटनाशक और तरल उर्वरकों का छिड़काव करा सकते है। इससे खेत के बीचोंबीच लगी फसलो तक ड्रोन से तरल उर्वरकों के छिड़काव से न केवल फसलों को त्वरित पोषण मिल सकेगा बल्कि अच्छी उपज में भी मिल सकेगी। पूर्व मुख्यमंत्री सत्येंद्र नारायण सिन्हा और उनके पौत्र नागालैंड व केरल के पूर्व राज्यपाल निखिल कुमार का पैतृक गांव है। इसी गांव में गुरूवार को किसानों की हितकारी सहकारी संस्था इंडियन फारमर्स फर्टिलाईजर को-ऑपरेटिव ऑर्गेनाईजेशन (इफको) ने ड्रोन से खेतों में तरल उर्वरकों का छिड़काव कर इसकी शुरुआत की। आगे जिले के और गांवों में भी ड्रोन से तरल उर्वरकों का छिड़काव कर किसानों को इसकी प्रायोगिक जानकारी दी जाएगी।
पोईवां गांव में ड्रोन से तरल उर्वरक का छिड़काव इफको के क्षेत्रीय अधिकारी अमित गौरव के देखरेख में गांव के दो किसानों के खेतों में किया गया। इस दौरान ड्रोन उद्यमी शुभम पांडेय ने इफको नैनो डीएपी तथा इफको नैनो यूरिया प्लस छिड़काव किया। छिड़काव के दौरान मौके पर मौजूद किसानों को उर्वरक सहायक राज पाठक ने किसानों को ड्रोन से इफको नैनो उर्वरक, इफको नैनो यूरिया प्लस और इफको नैनो डीएपी के छिड़काव से होनेवाले लाभ की जानकारी दी। कहा कि इफको नैनो उर्वरक अत्यधिक कुशल उर्वरक हैं, जो सूक्ष्म कणों के माध्यम से फसलों को नाइट्रोजन जैसे पोषक तत्त्व प्रदान करते हैं। नैनो उर्वरक के प्रयोग से हमारा पर्यावरण सुरक्षित रहता है। इसका उत्पादन इफको द्वारा किया गया है, ताकि किसान अंततः नैनो प्रौद्योगिकी के वरदान से लाभान्वित हो सकें।
नैनो उर्वरक ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘आत्मनिर्भर कृषि’ की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। किसान कौशलेंद्र प्रताप सिंह एवं सत्यजीत सिंह ने बताया कि दानेदार और पाउडर उर्वरकों के प्रयोग के लिए किसानों को खाली पैर खेत में जाना पड़ता है। इस दौरान पैरों से दबकर फसलों के नष्ट होने की संभावना को देखते हुए किसानों को बेहद सावधानी से खेतों में जाना पड़ता है और हाथ से छिड़के गए दानेदार व पाउडर उर्वरक फसलों के उपर ही रह जाते है और जड़ तक नही पहुंच पाते है। जबकि ड्रोन से छिड़काव किए जाने से तरल उर्वरक आसानी से फसलों की जड़ तक पहुंच जा रहे है। इससे किसानों को लाभ हो रहा है। साथ ही समय की भी बचत हो रही है। ड्रोन के माध्यम से फसलों में तरल उर्वरक का छिड़काव एक अच्छी तकनीक है। सरकार ने भी किसानों को फसलों में कीटनाशक एवं तरल उर्वरक के छिड़काव के लिए ड्रोन उद्यमी की व्यवस्था की है। ड्रोन उद्यमियों को निर्धारित शुल्क देकर किसान अपने खेतों में कीटनाशक एवं तरल उर्वरक का छिड़काव करा सकते है।