- प्रत्येक वर्ष एक दर्जन से अधिक लावारिस नवजातों को कराया जाता है एसएनसीयू में भर्ती
सासाराम: सरकारी अस्पताल अब बेहतर व्यवस्था और इलाज के लिए जाना जा रहा है। लोग अपना इलाज कराने के लिए पहुंच रहे हैं। इतना ही नहीं लोगों में अब सरकारी इलाज के प्रति भरोसा भी देखा जा रहा है। जिसका परिणाम यह है कि सासाराम सदर अस्पताल स्थित सभी वार्डों में लोगों की भीड़ देखी जा रही है। खासकर सदर अस्पताल स्थित एसएनसीयू की बात करें तो यह विभाग सरकारी अस्पतालों के अलावा निजी अस्पतालों में जन्में बच्चों के साथ साथ लावारिस नवजातों के लिए भी जीवन रक्षक साबित हो रहा है। जहां एक ओर कुछ मां-बाप बच्चे को जन्म देकर सड़कों पर मरने के लिए फेंक देते हैं। वहीं इसकी सूचना पर सरकारी अस्पताल उक्त बच्चों को उठाकर बेहतर इलाज के लिए एसएनसीयू में भर्ती कराते और वहां बच्चों का बेहतर देखभाल किया जाता है। एसएनसीयू में कार्यरत महिला स्वास्थ्य कर्मी उक्त नवजातों के लिए जीवनदायिनी का कार्य करती हैं। सदर अस्पताल स्थित एसएनसीयू से मिली जानकारी के अनुसार 2022 में लगभग एक दर्जन के करीब ऐसे लावारिस नवजातों को भर्ती कराया गया है। उनका इलाज करके निजी चाइल्ड वेलफेयर जैसी संस्था को सुपुर्द कर दिया जाता है। एसएनसीयू से मिली जानकारी के अनुसार जनवरी महीने में भी दो नवजात को भर्ती कराया गया, जिन को जन्म देने के बाद लावारिस हालत में सड़क किनारे छोड़ दिया गया। जिसमें एक बच्चे को रविवार को ही स्वस्थ हालत में चाइल्ड वेलफेयर को सुपुर्द कर दिया गया। वहीं सोमवार को भी राजपुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के कर्मियों द्वारा जन्म के बाद सड़क किनारे फेंक दी गई नवजात को एसएनसीयू में भर्ती कराया गया, जहां पर कार्यरत कर्मी बेहतर देखभाल कर रही हैं ।
लावारिस नवजातों के प्रति बढ़ जाती है अधिक जिम्मेदारी
सदर अस्पताल स्थित एसएनसीयू में कार्यरत सीनियर नर्स विदुषी लता ने बताया कि लगभग प्रत्येक महीने इस तरह के मामले आते हैं। ऐसे में हम लोगों की जिम्मेदारी और अधिक बढ़ जाती है, क्योंकि ऐसे नवजातों का कोई देखभाल करने वाला नहीं होता तो सारी जिम्मेवारी एसएनसीयू में कार्यरत नर्सों की हो जाती है। नवजातों की साफ-सफाई से लेकर समय पर दूध पिलाना जैसे कार्यों को ड्यूटी के दौरान हम नर्सों को करना होता है। उन्होंने बताया कि ऐसे बच्चों के लिए सबसे बड़ी समस्या ब्रेस्टफीडिंग की होती है, क्योंकि नवजातों के लिए ब्रेस्टफीडिंग काफी महत्वपूर्ण होता है। ऐसे में एसएससी में बच्चों को भर्ती करने आई महिलाएं काफी अनुरोध करने के बाद ब्रेस्टफीडिंग के लिए तैयार होती हैं । अन्यथा किसी तरह बच्चे को दूध पिला कर उनलोगों के द्वारा देखभाल किया जाता और जब बच्चा पूरी तरह से स्वस्थ प्रतीत होता है तो कानूनी प्रक्रिया के तहत उसे चाइल्ड वेलफेयर को सुपुर्द कर दिया जाता है।
एसएनसीयू सभी नवजातों के लिए जीवन रक्षक
सिविल सर्जन डॉ के एन तिवारी ने बताया कि एसएनसीयू का मुख्य कार्य समय से पहले जन्में बच्चों के साथ-साथ जन्म के दौरान कमजोर नवजातों को भर्ती कर इलाज कराना है। सदर अस्पताल का एसएनसीयू इस मामले में बेहतर कार्य कर रहा है। उन्होंने बताया कि कभी-कभार इस तरह के मामले चले आते हैं, जब लावारिस हालात में फेंके हुए नवजातों को भी एसएनसीयू की जरूरत पड़ती है। तब उन्हें सदर अस्पताल के एसएनसीयू में भर्ती कराकर पूरी तरह से बेहतर इलाज किया जाता है। उन्होंने कहा कि हमारा प्रयास है कि सभी को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मिले और इसके लिए हम बेहतर करने का प्रयास कर रहे हैं।