औरंगाबाद । भ्रष्टाचार उन्मूलन के लिए सरकार भरसक प्रयास कर रही हैं। जबकि औरंगाबाद ज़िले के कुटुंबा प्रखंड के अधिकारी कमीशनखोरी के चक्कर में भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने से बाज़ नहीं आ रहे हैं। सूत्रों की माने तो योजनाओं की राशि का 30 से 40 प्रतिशत कमीशन लिया जाता है जिसमें जेई, तकनीकी सहायक, पंचायत सचिव एवं अधिकारियों का कमीशन निश्चत होता है। कई योजनाओं में अधिकारी योजना स्वीकृत होने से पहले ही कमीशन लेते हैं और जो लोग कमीशन नहीं देते हैं उनकी योजनाएं अस्वीकृत कर दी जाती है।
कमीशनखोरी को लेकर अक्सर प्रखंड कार्यालय एवं पंचायत समिति की बैठक में जनप्रतिनिधियों एवं पदाधिकारियों के बीच नोक – झोंक होती रहती है। प्रखंड क्षेत्र के एक मुखिया ने नाम न उजागर करने की शर्त पर बताया कि जनप्रतिनिधि अधिकारियों के सामने मजबूर हैं। कमीशन नहीं देने वालों की योजना नहीं खुलती है और जो लोग कमीशन बढ़ा कर देते हैं उनका काम जल्दी हो जाता है। नीचे से ऊपर तक कमीशन जाता है।
प्रखंड क्षेत्र के ग्रामीणों ने योजनाओं में अनियमितता के विरुद्ध सैकड़ों आवेदन प्रखंड कार्यालय एवं जिला कार्यालय में दिए हैं। जनता की समस्या और भ्रष्टाचार के मामले को अखबारों में प्रकाशित भी किया जाता रहा है परंतु अधिकारियों की सांठगांठ से भ्रष्टाचार की जड़ें इतनी गहरी और मजबूत हो गई है कि जनता की आवाज को अनसुना कर दिया जाता है। न्याय की आस में जनता महीनों सरकारी दफ्तर का चक्कर काटते हैं और थक हार कर घर लौट जाते हैं।