करगहर। बिहार सरकार के द्वारा बच्चों की शिक्षा की शुरुआत आंगनबाड़ी केंद्र के माध्यम से शुरू कराया जाता है । जिसमें बच्चों को अक्षरों की पहचान ,मानसिक व शारीरिक विकास हेतू हर प्रकार का पौष्टिक आहार के लिए साप्ताहिक मेन्यू में बदल- बदल कर भोजन देने का सरकार प्रयास कर रही है ताकि बच्चों को अग्रतर शिक्षा के लिए तैयार किया जा सके। आंगनबाड़ी केंद्र मे सेविका को पठन-पाठन के लिए तो वही सहायिका को पौष्टिक आहार बनाने व बच्चों को खिलाने हेतू नियुक्ति होता है। परन्तु सरकार की ये योजना लगभग असफल होता दिखाई दे रहा है। ताजा मामला करगहर प्रखंड क्षेत्र के सेमरी पंचायत के खनेठी आंगनबाड़ी केंद्र का है जहां कोड सं.- 187 पर मात्र लगभग पंद्रह बच्चे पढ़ते पाये गये। आंगनबाड़ी केंद्र पर सेविका गायब पायी गई। वही सहायिका मांडवी देवी ने बताया कि सेविका अंजू कुमारी ट्रेनिंग के लिए सासाराम गई है । वही आंगनबाड़ी केंद्र पर बच्चों के लिए कोई पौष्टिक आहार नही बनाया गया । पूछने पर सहायिका ने बताया कि मुझे पानी 20 मीटर दूर से लाना पड़ता है। इसलिए आज खाना नही बना है।
वही दूसरी ओर आंगनबाड़ी केंद्र सं 13 पर सेविका फूलकुमारी व सहायिका सुमित्रा कुमारी कुर्सी पर बैठकर बातें कर रही थी । केंद्र पर बच्चों की संख्या महज छः सात ही थी और बच्चे रोड पर खेल रहे थे। जब सेविका से पूछा गया कि महज छः बच्चे ही पढ़ते है क्या ? तो सेविका ने बताया कि नही और बच्चे घर चले गये। जबकि समय दोपहर के 12 बज रहा था । ऐसे मे बच्चों कि जिम्मेवारी सेविका एवं सहायिका की होती है। तो फिर बच्चें गांव से 200 मीटर की दूर बगैर बताये कैसे चले गये। वही इस आंगनबाड़ी केन्द्र पर भी बच्चों के थाली से भोजन गायब रहा। पुछने पर सेविका फूलकुमारी ने बताया कि चैत्र नवरात्र के चलते खाना नही बना है। सेविका ने बताया कि बच्चों को अंगूर दिया गया है परन्तु बच्चे अंगूर मिलने के बात से इंकार कर दिये। केंद्र पर किसी प्रकार का भोजन नही बना पाया गया । इस मामले मे जब सीडीपीओ से बात की गई तो उन्होंने बताया कि इस मामले की जांच कर उचित करवाई की जायेगी। ऐसे मे बच्चों का हक मार कर खाना कहां तक सही है। क्या ऐसे मे बच्चों को अग्रतर शिक्षा प्राप्त करने में सरकार का प्रयास सार्थक होगा ? सवाल अब भी बना हुआ है। आखिरकार इसका जिम्मेवार कौन ?