सासाराम। बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिए सरकार कई योजनाओं को संचालित कर रही है। बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिए एकीकृत बाल विकास परियोजना (आईसीडीएस)को भी जिम्मेदारी सौपी गई है। आईसीडीएस द्वारा संचालित आंगनबाड़ी केंद्रों पर विभिन्न कार्यक्रमों को संचालित कर 0-6 वर्ष के आयु वर्ग वाले बच्चों के पोषण और स्वास्थ की स्थिति में सुधार के साथ साथ कुपोषित बच्चों को पोषित किया जा रहा है। बच्चों को पोषित करने के लिए 6 वर्ष से कम आयु के बच्चो का टीकाकरण, गर्भवती महिलाओं के लिए प्रसव से पूर्व देखभाल की व्यवस्था, छह वर्ष से कम आयु के बच्चों के पोषण, गर्भवती और शिशुओं की देखभाल करने वाली स्त्रियों का भी पोषण, 15-45 वर्ष के आयु वर्ग की सभी महिलाओं के लिए पोषण और स्वास्थ्य की जिम्मेदारी, नवजात शिशुओं के 6 वर्ष तक देखभाल, कुपोषण अथवा बीमारी के गंभीर मामलों को अस्पतालों, समुदाय स्वास्थ्य केंद्रों, जिला अस्पताल(पोषण पुनर्वास केंद्र) भेजने जैसी जिमेदारी दी गई है।
जिले में 677 अति कुपोषित बच्चों को किया जा रहा है पोषित
जिला आईसीडीएस विभाग से मिली जानकारी के अनुसार जिले के सभी आंगनबाड़ी केंद्रों द्वारा अपने अपने पोषण क्षेत्र में किये गए सर्वे के अनुसार जिले में कुल 677 बच्चे अति कुपोषण से पीड़ित हैं । जिन्हें आंगनबाड़ी केंद्रों के द्वारा पोषित किया जा रहा है। जिले में अति कुपोषित 677 बच्चों में 392 बच्चियां जबकि 285 बच्चे हैं ।
डिहरी प्रखण्ड में है सर्वाधिक अतिकुपोषितों की संख्या
विभाग से मिली जानकारी के अनुसार डिहरी प्रखण्ड में सवार्धिक 168 बच्चे एवं बच्चियां अति कुपोषण की शिकार हैं। जबकि दूसरे नंबर पर चेनारी प्रखण्ड है जहां 143 बच्चे -बच्चियां अति कुपोषण की शिकार हैं । राजपुर में 12, रोहतास में 19, काराकाट में 14, बिक्रमगंज में 30, अकोढ़ीगोला में 78, संझौली में 12, सासाराम में 19, शिवसागर में 51, करगहर में 11, नासरीगंज में 19, नौहट्टा में 15, दिनारा में 9, नोखा में 35, तिलौथू में 26, सूर्यपुरा में 2 बच्चे अति कुपोषण के शिकार हैं।
बच्चों को पोषित करने को लेकर आईसीडीएस अग्रसर
रोहतास डीपीओ रश्मि रंजन ने बताया कि आईसीडीएस द्वारा सर्वे कर विभिन्न प्रखण्डों में अति कुपोषित बच्चों की पहचान की गई है । उन्होंने बताया कि सभी चिह्नित अति कुपोषित बच्चों को उनके पोषण क्षेत्र में ही पोषित करने का प्रयास किया जा रहा है। डीपीओ ने बताया कि बच्चों को पोषित करने के लिए विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। साथ ही कुपोषित बच्चों को नियमानुसार पूरक पोषण आहार प्रदान कर पोषित करने का प्रयास किया जा रहा है।